दुर्गा का सच


शेरावाली दुर्गा कौन…

क्या है दुर्गा का वेश्या से रिश्ता….?

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⇒ क्यों कलाकार दुर्गाप्रतिमा बनाने से पहले एक मुट्ठी वेश्या की चौखट की मिट्टी मिलाता है ….

⇒ क्यों वेश्यायें दुर्गा को अपना आदर्श मानती हैं….

⇒ क्यों वेश्या किस्म की औरतें अपने आप में दुर्गा विराजने का स्वांग करती हैं….

MAHISHASURA-MARDINI▶ हम आपको एक मुण्डा आदिवासी कथा सुनाते हैं। कथा इस प्रकार है: जंगल में एक भैंस और भैंसा को एक नवजात बच्ची मिली। दोनों उसे अपने घर ले आए और लड़की को पाल-पोसकर बड़ा किया। अपूर्व सौंदर्य लिए हुए सोने की काया वाली वह बच्ची जवान हुई। उसकी सोने-सी देह और अनुपम सौंदर्य की चर्चा कुछ शिकारियों के व्दारा राजा तक पहुंची। राजा ने छुपकर लडकी को देखा और उसके रूप पर मोहित हो गया। उसने उसका अपहरण करने की कोशिश की। तभी भैंस और भैंसा दोनों वहां आ गए। दोनों को आया देख राजा ने लड़की को बंधक बना लिया और घर का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। भैंस ने दरवाजा खोलने के लिए लड़की को बाहर से आवाज लगाई। लडकी बंधक थी। वह कैसे दरवाजा खोल पाती ? उसने बिलखते हुए राजा से आग्रह किया कि वह उसे छोड दे, पर राजा ने लडकी को मुक्त नहीं किया। अंतत: भैंस और भैंसा, दोनों दरवाजा खोलने की कोशिश करने में सर पटकते-पटकते मर गए। उनके मर जाने के बाद राजा ने बलपूर्वक लडकी को अपनी रानी बना लिया।

आप सोचेंगे कि ‘दुर्गासप्तशती’ अथवा दुर्गा पूजा की कहानी, जिसमें आदिशक्ति दुर्गा कथा का क्या लेना देना। इस पर बात करने से पहले एक और आदिवासी कथा का पाठ कर लेना उचित होगा, जिसे गैर-आदिवासी समाज नहीं जानता। यह कथा संथाल आदिवासी समाज में प्रचलित है ‘दासांय’, जो दुर्गापूजा के समानान्तर मनाया जाता है। इसमें संथाल नवयुवकों की टोली बनती है, जो योध्दओं की पोशाक में रहते हैं। टोली के आगे-आगे अगुआ के रूप में कोई संथाल बुजुर्ग होता है, जो प्रत्येक घर में घुसकर गुप्तचरी का स्वांग करता है।दरअसल, यह टोली प्रत्येक घर में अपने सरदार को खोजती है जो उनसे बिछड़ गया है। इस तरह टोली युध्द की मुद्रा में नृत्य करते हुए आगे बढती है। इस संथाल आदिवासी परंपरा ‘दासांय’ में टोली जिस सरदार को खोजती है, उसका नाम दुरगा होता है, जो अपने दिशोम ( देश ) में दिकुओं ( बाहरी लोग ) के अत्याचार और प्रभाव के खिलाफ अपने योध्दाओं के साथ युद्ध करता है। उसके बल और वीरता से दिकू पराजित हो भयभीत रहते हैं। अंत में दिकू लोग छल का सहारा लेते हैं। उसे धोखे से बंदी बनाकर उसकी हत्या करने के लिए एक वैश्या से सहायता मांगते हैं।वैश्या सवाल करती है, ‘इसमें मुझे क्या लाभ ?’ पुजारी वर्ग उसे आश्वस्त करता है कि अगर अपने रूपजाल में फांसकर वह दुरगा को बंदी बनाने में साथ देगी तो युगों-युगों तक उसकी पूजा होगी। इस तरह से संथालों का सरदार ‘दुरगा’ बंदी होता है और मार डाला जाता है। आदिवासी सरदार दुरगा को मारने के ही कारण उस वैश्या को महिषासुर मर्दिनी और दुरगा ( दुर्गा ) की उपाधि मिली।

नवरात्रि :— उसे मारने में नौ दिन और नौ रातें लगे थे इसलिए नवरात्रि का चलन शुरू हुआ। इस तरह से दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई। बंगाल इसका केंद्र बना, क्योंकि मूलतः संथालों की आबादी पुराने बंग से सटे इलाके अर्थात मानभूम में निवास करतीथी। इसी कारण दुर्गा प्रतिमा तभी बनती है जब वेश्यालय की एक मुट्ठी मिट्टी उस मिट्टी में मिलाई जाए, जिससे मूर्ति का निर्माण होना है।

इस दूसरी आदिवासी कथा से आप यह समझ गए होंगे कि पहली कथा, जिसमें जंगल, भैंस और सोने की काया वाली लड़की का रूपक है, का दुर्गा सप्तशती के साथ क्या संबंध है। दरअसल

ये दोनों कथाएं मनुवादी दुर्गा सप्तशती का आदिवासी पाठ है, जिसे लोककथा कहकर पुरोहित वर्ग ने व्यापक जनसमाज के सामने आने नहीं दिया।

देवता बने हिजड़ा:—मार्कण्डेय पुराण में वर्णित एक घटना (महिषासुर वध) यह प्रकट करने के लिए पर्याप्त है कि ब्राह्मणों ने अपने देवताओं को कितना हिजड़ा बना दिया था।(डॉ. अम्बेडकर, रिडल्स इन हिन्दूज्म पृ.75 )

दुर्गा पूजा का पहला आयोजन

23 जून 1757

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दुर्गा पूजा के बंगाली विस्तार का एक घृणित इतिहास है। अठारहवीं सदी के पहले, बंगाल में भी दुर्गा पूजा ऐसी कोई परंपरा नहीं थी, जैसी हम आज पाते हैं। यह जानकर बहुत से हिन्दुओं को धक्का लगेगा कि दुर्गा पूजा का पहला आयोजन बंगाल में अंग्रेजी राज के विजयोत्सव के उपलक्ष्य में हुआ था 1757 में। 23 जून 1757 को प्लासी के युध्द में बंगाल के नवाब को हराकर जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल पर अपना राज कायम कर लिया, तो इसकी खुशी में राजा नवकृष्ण देव, जो क्लाइव का मित्र था, ने शोभाबाजार स्थित अपने घर के प्रांगण में दुर्गा पूजा का आयोजन किया।

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23 Responses to दुर्गा का सच

  1. Atul Sonawane says:

    Jai Mulnivasi.!!
    Bahujano ko Aaryon k idolojy ko samajh na hoga..

  2. dadada says:

    Brahmano aur Swarno ko nanga karne ke liye kafi information is website se le sakte ho…

    hinduismkisachai.wordpress.com

    • हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

  3. shidhu says:

    ye website pratek bhartiyo ko malum honi chahiye aur is par vichar karna chahiye jai bhim

  4. subhash dayma says:

    Sacha

  5. ABDUL NAYYAR says:

    सच्चाई बताने के लिये शुक्रिया

  6. md9153 says:

    Nice post

  7. very informative & eye opening

  8. बहुत अच्छी वेबसाइट है bhim sangh और सरpdf में किताब बताइए

    • sanjay meghwal says:

      सही है भाई

  9. sanjay meghwal says:

    जय भीम जय मूलनिवासी
    ये स्टोरी whatsapp ग्रुप में डालते है तो स्वर्ण लोग कहते है कि हम आप पर केस कर के फिर लगाएगे
    बड़ी अजीब बात है
    जय भीम नमो बुद्धाय

  10. Alok sharma says:

    हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

  11. Hir says:

    हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

  12. bheem says:

    हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

  13. हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

  14. हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

  15. हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

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  17. हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

  18. हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

  19. amit32015 says:

    हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

  20. Savarn prabhakar says:

    हम ब्राह्मण सच में हरामी होते है.. और हमने इंडिया जैसे महान देश को बर्बाद करने पर शर्म आनी चाहिए…

  21. Ramu Ram says:

    . Excellent logic

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